AVTAR VANI
मंगलाचरण हे समरथ परमात्मा, हे निर्गुण निरंकार| तू करता है जगत का तू सब का आधार|| कण-कण में है बस रहा तेरा रूप अपार| तीन काल है सत्य तू मिथ्या है संसार|| घट-घट वासी है प्रभु अविनाशी करतार| दया से तेरी हो सभी भव-सागर से पार|| निराकार साकार तू जग के पालनहार| हे बेअंत महिमा तेरी दाता अपरम्पार|| परम पिता परमात्मा सब तेरी संतान| भला करो सभ का प्रभु सब का हो कल्याण|| इक तू ही निरंकार-धन धन सतगुरु` परम पिता परमात्मा, कण कण तेरा वास| करण करावंहार तू, सब कुझ तेरे पास| अंग-संग तैनूं वेख के अवतार करे अरदास| तूं शाहाँ दा शहेनशाह, मैं दासा दा दास| इक तू ही निरंकार (१) रूप रंग ते रेखों न्यारे तैनूं लख परनाम करां| मन बुद्धि ते अक्लों बाहरे तैनूं लख परनाम करां| अनहद ते असगाह स्वामी तैनूं लख परनाम करां| शाहाँ दे हे शाह स्वामी तैनूं लख परनाम करां| आद अनादी सर्वव्यापी तैनूं लख परनाम करां| युग युग अन्दर तारे पापी तैनूं लख परनाम करां| सगल घटा दे अंतर्यामी तैनूं लख परनाम करां| आपे नाम ते आपे नामी तैनूं लख परनाम करां| जीव जंत दे पालनहारे तैनूं लख परनाम करां| कहे अवतार हे प्राण-आ...